ख़ाकी वर्दी का सच – पढ़िए ये पूरी खबर

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ख़ाकी वर्दी पुलिस की शान मानी जाती है। यही ख़ाकी वर्दी उनके रुतबे को भी बढाती है। लेकिन कभी आपने सोचा है ये ख़ाकी वर्दी आई कहां से और इसी रंग को पुलिस व सेना के लिया क्यों चुना गया। तो जरा ठहरिये जनाब हम आपको बताते हैं कि ये ख़ाकी की ये अवधारणा कैसे और कहां से आई।

ख़ाकी एक हिन्दी शब्द है जिसका अर्थ मिट्टी का रंग है। तभी तो देश व मात्र भूमी की रक्षा के लिए इस ख़ाकी वर्दी को चुना गया है। ये रंग हल्का पीला और भूरे रंग का मिश्रण है। भारत के अलावा खाकी रंग विश्व की बहुत से देशों की आर्मी भी पहनती है।

इसकी शुरूआत सर हेनरी लारेंस ने की जो लाहौर के रहने वाले थे। उनके द्वारा खड़ा किया गया फोर्स कॉर्प्स ऑफ गाइड्स से इसकी शुरुआत हुई। शुरुआत में कॉर्प्स ऑफ गाइड्स के जवान थे जो अपनी लोकल ड्रैस में ही नौकरी करते थे, लेकिन 1847 में एक कोशिश की गई कि सभी की ड्रैस एक जैसी हो। सर हैरी लुम्स्डेन और विलियम स्टीफन ने ख़ाकी यूनिफार्म को कॉर्प्स ऑफ गाइड्स में अपनाया जो कि उस समय ब्रिटेन से मंगवाया जाता था। उसके बाद ख़ाकी यूनिफार्म की सपलाई ब्रिटेन से कम हो गई तो भारतीय जवानों ने कपड़े को इम्प्रोवाइज्ड कर के कपड़े को मिट्टी, चाय या फैब्रिक कलर से डाइंग करके ख़ाकी का रंग देने लगे। इसके बाद से ही भारतीय पुलिस व सेना के सभी रेजीमेंट ख़ाकी यूनिफॉर्म को अपनाने लगे। और तब से अब तक भारतीय पुलिस व सेना ख़ाकी वर्दी पहन रही हैं।

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