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मराठा सरदार महादजी की मौत के बाद कर्नल आगरा आगया जहां 1803 में उसकी मृत्यु हो गयी। उसकी मौत के बाद उसकी पत्नी ने यह लाल पत्थर का ताजमहल बनवाया था जिसे बनाने में काफी हद तक असली ताजमहल की नकल की गयी है। यह भी कहा जाता है कि किले पर अंग्रेजों के कब्जे के बाद कर्नल के बच्चों ने इसका निर्माण कराया था।
सफ़ेद ताजमहल की तर्ज पर यह लाल महल भी लगभग 50 फीट लंबे चौड़े चबूतरे पर बना हुआ है जिसमें दो लंबी मीनारें और बीच में गोल गुंबद बनी हुई हैं। चबूतरे के नीचे के भाग में एक तहखाना भी है। ईसीओ तहखाने के अंदर कर्नल की क़ब्र है। यह लाल महल खुद एक कब्रिस्तान के अंदर बना हुआ है, जिसमें बहुत से अंग्रेज़ शासकों और उनके परिवार वालों की क़ब्र बनी हुई है।
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