इंसानियत की मिसालः जब एक हिंदू पड़ोसी का मुस्लिम युवकों ने किया अंतिम संस्कार

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आठ मुस्लिम युवकों खलिल पावने, फहद डाबिर, नवाज, राहिल, शबनम खान, मकसूद, फारूख खान और कासिम शेख ने खुद ही अंतिम संस्कार के कर्मकांड के लिए पंड़ित की तलाश की और उसे पूरा किया। युवकों ने खुद ही डॉक्टर से वमन कदम का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाया।

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कदम की पत्नी वितावा बताती हैं, ‘मेरे पति ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उनकी अंतिम यात्रा इतने सम्मान के साथ निकलेगी। उनकी अंतिम यात्रा में 40 से भी अधिक मुस्लिम युवक थे। हम उन्हें काफी समय जानते है, तब वे बच्चे ही थे लेकिन अब उन्होंने बड़े होने की जिम्मेदारी भी निभाई है। वे हमारे बड़े हमदर्द बने।’

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