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उनके मुताबिक उनके सीने, पेट और कमर से ही लोहे को आकर्षित करने वाली तरंगे निकलती हैं। उन्होंने बताया कि मोहल्ले के बच्चे भी उनकी इस प्रतिभा को लेकर काफी उत्सुक रहते हैं और उनके गुजरने के दौरान छोटी-छोटी लोहे की चीजें उनकी कमर से चिपकाकर देखते हैं।
रायकर की क्षमता भी हर साल बढ़ती जा रही है। अरुण के मुताबिक पहले जहां सिर्फ चम्मच जैसी कम वज़न वाली चीज़ें ही उनके शरीर से चिपकती थीं लेकिन अब वो करीब 10 किलो वजन का लोहा भी अपनी अद्भुद शक्ति के जरिये उठा सकते हैं।
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