सुप्रिया के पिता बीमारी के कारण अब काम नहीं कर पाते, ऐसे में घर की ज़िम्मेदारी उसी पर आ गयी है।एक लड़की को ड्राईवर की सीट पर बैठा देख लोग ई-रिक्शा में बैठने से कतराते थे। सुप्रिया के पड़ोसियों ने भी उसके परिवार को सलाह दी कि उससे ये काम न करवाएं, ये लड़कियों के करने लायक काम नहीं है।
आज सुप्रिया ने उन सबको गलत साबित कर दिया है। जो लोग कहते थे कि इससे उसके परिवार की बदनामी होगी, आज वही सुप्रिया के काम के कारण उसके परिवार का नाम होता देख रहे हैं।
सुप्रिया की मां ममता बताती हैं कि उनकी बेटी अकेले घर चला रही है और मेहनत कर रही है. उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बाकी लोग इस बारे में क्या बोल रहे हैं। सुप्रिया को काम करते हुए अपनी क्लासेज़ के लिए भी समय निकालना होता है और सब कुछ बैलेंस कर के चलना होता है।वो लोगों की इस धारणा को भी तोड़ चुकी है कि लड़कियां अच्छी ड्राईवर नहीं होतीं।