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माना जाता है कि इस मंदिर में देवी की मूर्ति खुद प्रकट हुई थी। यह केरल का इकलौता मंदिर है, जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं है। हर साल इस मंदिर में चाम्याविलक्कू फेस्टिवल मनाया जाता है। इसमें आदमी महिलाओं की तरह साड़ी पहनते हैं और पूरा श्रृंगार करने के बाद माता की पूजा करते हैं।
कहा जाता है कि कई सालों पहले इस जगह पर कुछ चरवाहों ने महिलाओं के कपड़े पहनकर एक पत्थर पर फूल चढ़ाया और उसकी पुजा कि थी। जिसके बाद पत्थर से दिव्य शक्ति निकलने लगी। जिसके बाद में इसे एक मंदिर का रूप दे दिया गया और तभी से यहां पुरुषों द्वारा माता कि पुजा होती आ रही है।
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