Use your ← → (arrow) keys to browse
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक इसलिए निकली गयी है क्योंकि सालो साल से लिखे हुए कई किताबो के पेज पलटने पर फटने लगते है। इस तकनीक के माध्यम से इसे संजोकर रखा जा सकेगा और बिना खोले ही इन्हें पढा जा सकेगा। इस रिसर्च से जुड़े हुए रमेश रस्कर ने बताया है कि किताब को बिना खोले पढ़ने की तकनीक terahertz radiation की मदद से सम्भव हुई है। इसके कारण किताब के अक्षरो को किताब खोले बिना भी पढ़ा जा सकता है।
शोध-अनुसंधान के दौरान भी जब-तब पुरानी किताबें मिलती रहती हैं। इन्हें पलटना भी मुश्किल होता है। डर रहता है कि ये कहीं नष्ट न हो जाएं। लेकिन अब इसकी चिंता करने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
Use your ← → (arrow) keys to browse