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इसका वैज्ञानिक नाम ओलिगोडॉन खीरीएनसिस रख दिया गया। अक्टूबर 2014 में उत्तराखंड की खटीमा के सुरई रेंज में सड़क पर किसी वाहन से कुचला हुआ मिला था। इसलिए इस सांप को लेकर कोई खास रिसर्च नहीं हो सकी।
तराई पूर्वी वन प्रभाग में सरीसृप पर शोध कर रहे वन्य जीव विशेषज्ञ विपुल मौर्य और सरीसृप विशेषज्ञ जयप्रताप सिंह को इस अति दुर्लभ सांप को फिर से पकड़ने में कामयाबी मिली है। संयोग है कि यह सांप दोबारा फिर सुरई रेंज में ही मिला है, लेकिन इस बार यह जिंदा है, इसलिए इस पर विशेषज्ञों की टीम ने शोध भी शुरू कर दिया है। सरीसृप विशेषज्ञ जयप्रताप सिंह का कहना है कि लाल मूंगा सांप की यह निगरानी की जा रही है कि उसका रहन-सहन, हावभाव, वासस्थल और इसकी प्रजाति के विकसित करने की संभावनाएं कितनी हैं।
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