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पूर्व डीजीएम ने यहां पर सर्वे कर धातु निकालने का कार्य किया। इस स्थल को अस्कोट की ताम्रखान (तांबे की खान) नाम से भी जाना जाता है। भूतत्व एवं खनिजकर्म निदेशालय के सर्वे के आधार पर वर्ष 2003 में कनाडा की प्रसिद्ध आदि गोल्ड कंपनी का ध्यान इस तरफ गया। उसकी भारत स्थित कंपनी ने सरकार से अनुमति लेकर यहां पर फिर से सर्वे का कार्य किया।
कुछ वर्षों से अस्कोट कस्तूरी मृग अभ्यारण्य इस क्षेत्र से हट गया है और सर्वे के लिए इस स्थान पर कई किमी की गुफा बना कर इस स्थान के खनिज पदार्थो की खोज की गई और खोज में अथाह सोना मिश्रित धातु का बड़ा खजाना होने की पुष्टि की गई है। इसी इलाके में जमीन के अंदर यूरेनियम होने की संभावना भी जताई जा रही है।
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