मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर र इस कविता को आगरा की दो लड़कियों ने साबित कर के दिखाया है। अकसर हिन्दू व मुस्लिम धर्मों के बीच कट्टरता दिखती हैं लेकिन किसी भी इंसान का मुस्लिम या हिन्दू होना कुदरत के हाथों में होता है, सभी की जननी कुदरत है तो इस पर बैर क्यूं? भारत के राजनेता कहे जाने वाले लोग जहां अपने फायदे के लिए कट्टरवाद फैलाते है वहीं आगरा की दो बहनों ने प्रेम और सौहार्द बढ़ाने की दिशा में एक कदम बढ़ाया है।
आगरा के संजय नगर के एक मंदिर के परिसर में खुले आसमां के नीचे हर शाम एक क्लास लगती है। हिंदू लड़की पूजा इस क्लास में करीब 35 बच्चों को कुरान की तालीम देती है। आपको थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा कि एक हिन्दू होकर ये लड़की कुरान की शिक्षा देती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उसके मन में हिन्दुओं के लिए कोई बैर है वह बस शिक्षा में विश्वास रखती है।
दरअसल पूजा ने 12 तक की पढ़ाई की है और अरबी भाषा के कठिन शब्दों को सही लहजे में पढ़ने वाली पूजा मुफ्त इन बच्चों को पढ़ाती है। पूजा के पास तालीम लेने आने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से हैं। पूजा ने बताया कि उसे बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा संगीता बेगम नाम की महिला से मिली थी। कुछ निजी दिक्कतों की वजह से संगीता बेगम को बच्चों की क्लास लेना छोड़ना पड़ा। गंगा जमुनी तहजीब में विश्वास रखने वाली संगीता बेगम ने पूजा से आग्रह किया कि वो बच्चों को पढ़ाना जारी रखे।