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दादा-दादी बन रहे एक आस्ट्रेलियाई दंपति ने इसे दो दशक पहले बनाया था। वे इसे ऐसे इंसान के हाथ में सौंपना चाहते थे जो द्वीप के प्रति रुचि रखता हो और पर्यावरण की देखरेख में भी दिलचस्पी लेता हो।
दंपति सिर्फ पैसे वालों के हाथ इसे नहीं बेचना चाहते थे, इसलिए लॉटरी का आयोजन किया गया। जोशुआ ने बताया कि लंच में अखबार पढऩे के दौरान उन्हें इसकी जानकारी मिली। उन्होंने डग और सैली को धन्यवाद भी किया। 49 रुपये प्रति टिकट की दर से तकरीबन डेढ़ सौ देशों के 75,485 लोगों ने इसे खरीदा था।
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