एक ऐसा पुलिस थाना जहां 23 सालों में आए महज़ 55 मुकदमे

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इस थाने के अंतर्गत दो पंचायतों की 10 हजार की आबादी आती है। 2016 में अब तक कोई मामला नहीं दर्ज हुआ। 2015 में सिर्फ दो मामले दर्ज हुए, वे भी सड़क दुर्घटना के। 2014 में तीन मामले दर्ज हुए, एक मारपीट का, दूसरा चोरी का और तीसरा सड़क दुर्घटना का। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग ने बताया कि थाने मेंं बिजली सौर ऊर्जा से मिलती है और पानी बाहर से लाया जाता है। उन्होंने बताया कि कभी साल भर मुकदमा दर्ज न हो लेकिन अंत में अगर एक मुकदमा दर्ज हो जाए और उसका निस्तारण न हो तो भी वर्ष के अंत में पेंडेंसी का फीसद 100 आता है। पुलिस उपाधीक्षक नरेंद्र कुमार दवे ने थाने में 23 साल बाद नियुक्ति होने पर कहा ‘एएसआइ स्तर का अधिकारी थाने का प्रभारी रहा है। थाने में दर्ज होने वाले मामले, इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी की उपलब्धता और कार्य संपादन के आधार पर इंस्पेक्टर की नियुक्ति की जाती है।’

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