बेटियां बनी घर की पहचान,जानिए कैसे

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तिरिंग गांव की पंचायत समिति सदस्य उर्मिला सामद ने कहा है कि इस पहल से पूरे गांव का माहौल बदल गया है।गांव में पुरुषों के बारे में कहा जाने लगा है कि वो उसका भाई है या पिता है।दूसरे गांव के लोग भी यहां आकर इस बदलाव को सही बता रहे हैं। वे भी अपने गांव में बेटियों के लिए नेमप्लेट बनवाना चाह रहे हैं।उर्मिला सामद ने बताया कि पहले उन्हें नीलसिंह की बहु कहकर पुकारा जाता था। लेकिन, अब बेटी के नाम से बुलाया जाता है।

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1 से ज्यादा बेटी होने पर घर का मुखिया बड़ी बेटी को बनाने का फैसला किया गया। ग्रामीणों के इस पहल को जिला सूचना जनसंपर्क कार्यालय से भी समर्थन मिला है।जनसंपर्क कार्यालय ने पूरे गांव के लिए नेमप्लेट बनवाया है।

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