झोपड़ी से निकली और पहुंच गई अमेरिका – जानिए कैसे

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ऐसी बदली जिंदगी
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ऐसी बदली जिंदगी, झोपड़ी से निकली और पहुंच गई अमेरिका। प्रेरणा स्कूल में पढ़ने वाली जानकी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि झोपड़ी में जिंदगी गुजारते-गुजारते एक दिन वो अमेरिका में रहने लगेंगी।

जानकी के पिता बराती साहू एक मजदूर हैं और मां कमला साहू घरों में चूल्हा चौका करती हैं।सृजन विहार कॉलोनी में 12 बाई 6 की एक कच्ची झोपड़ी है, जिसमें गुजारा करना बहुत मुश्किल है।झोपड़ी सड़क के किनारे है, इसलिए खाना बनाने के लिए चूल्हा सड़क पर ही बना हुआ है।बारिश में गुजारा बहुत मुश्किल हो जाता है।आज तक उसकी झोपड़ी में लाइट नहीं आई है।

जेंट्स साइकिल से चलने वाली जानकी बीएमडब्लू और ऑडी से घूमेंगी, लेकिन यह सपना पूरा हुआ। उसकी झोपड़ी में कभी लाइट नहीं आई और वो अमेरि‍का की जगमगाती रौशनी में एक साल गुजार आई। वह कहती हैं कि अगर किस्‍मत ने साथ दिया तो अमेरिका में ही सेटेल होने का इरादा है।

जानकी एएसफ (अमेरिकन फील्‍ड सर्विस) के अंदर चलने वाले प्रोग्राम वाईईएस (यूथ एक्‍सचेंज एंड स्‍टडी) के तहत अमेरिका गई थी।वह कहती हैं, कि प्रेरणा स्‍कूल हर साल कुछ बच्‍चों को स्टडी एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका, लंदन और ऑस्ट्रेलिया भेजता है।

इस स्‍कूल में हम जैसे गरीब बच्‍चों को फ्री में पढ़ाया जाता है।टीचर्स और स्‍कूल की मदद से मैं अमेरिका जा पाई।प्रेरणा स्‍कूल में जानकी को पढ़ाने वाले टीचर्स का कहना है कि वह बहुत ही ब्रिलियंट स्‍टूडेंट है।उन्‍हें खुशी है कि जानकी की ट्रिप सक्‍सेजफुल रही।

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